राजस्थान ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में वीरता, बलिदान और जन-आंदोलनों के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहाँ राजस्थान के प्रमुख योगदानों का विवरण दिया गया है:
1. 1857 की क्रांति में राजस्थान की भूमिका
- नसीराबाद विद्रोह (मई 1857):
- भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की, जो दिल्ली से पहले ही शुरू हो गई थी।
- कोटा, झालावाड़ और अजमेर में विद्रोह हुए, जहाँ मेजर बर्टन जैसे अंग्रेज अधिकारियों को मार दिया गया।
- राजस्थान के शासकों की भूमिका:
- कोटा के महाराव रामसिंह ने अंग्रेजों का साथ दिया, लेकिन जनता ने विद्रोह किया।
- झालावाड़ की रानी ने गुप्त रूप से विद्रोहियों की मदद की।
2. 20वीं सदी के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान
(A) अहिंसक आंदोलनों में भागीदारी
- बिजौलिया किसान आंदोलन (1897–1941):
- भीलवाड़ा जिले के किसानों ने लाग-बाग (अन्यायपूर्ण कर) के खिलाफ संघर्ष किया।
- साधु सीताराम दास, विजय सिंह पथिक जैसे नेताओं ने इसका नेतृत्व किया।
- चरखा आंदोलन एवं असहयोग आंदोलन (1920–22):
- जमनालाल बजाज (सीकर) ने गांधीजी के आह्वान पर विदेशी वस्त्रों की होली जलाई।
- अजमेर, ब्यावर, भरतपुर में विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़े।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930–34):
- नेतृत्व: हरिभाऊ उपाध्याय, गोपालसिंह खरवा।
- अजमेर में नमक सत्याग्रह (1930) – माणिक्य लाल वर्मा ने नेतृत्व किया।
(B) क्रांतिकारी गतिविधियाँ
- अरविंद घोष से जुड़ाव:
- अजमेर के क्रांतिकारियों ने अनुशीलन समिति से संपर्क बनाया।
- रासबिहारी बोस ने राजस्थान में गुप्त क्रांतिकारी नेटवर्क बनाया।
- भगत सिंह की गतिविधियाँ:
- कानपुर-शाहजहाँपुर षड्यंत्र में राजस्थान के युवाओं ने भाग लिया।
- अजमेर के शचीन्द्र नाथ सान्याल ने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) में योगदान दिया।
3. प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी एवं उनका योगदान
नेता का नाम | जिला/क्षेत्र | योगदान |
---|---|---|
विजय सिंह पथिक | भीलवाड़ा | बिजौलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व |
जमनालाल बजाज | सीकर | गांधीजी के प्रमुख सहयोगी, खादी प्रचारक |
माणिक्य लाल वर्मा | भीलवाड़ा | अजमेर नमक सत्याग्रह, “मेवाड़ का गांधी” |
अर्जुन लाल सेठी | अजमेर | वंदे मातरम आंदोलन, क्रांतिकारी गतिविधियाँ |
गोकुल भाई भट्ट | सिरोही | प्रजामंडल आंदोलन, राजस्थान कांग्रेस के संस्थापक |
कन्हैयालाल सेठिया | चुरू | लोकगीतों के माध्यम से जागृति फैलाई |
4. प्रजामंडल आंदोलन (1938–47): जनता का राजनीतिक संघर्ष
- उद्देश्य: रियासतों में लोकतांत्रिक अधिकार और जनता की भागीदारी सुनिश्चित करना।
- प्रमुख प्रजामंडल:
- मेवाड़ प्रजामंडल (1938) – माणिक्य लाल वर्मा, बलवंत सिंह मेहता।
- मारवाड़ प्रजामंडल (1938) – जयनारायण व्यास।
- जयपुर प्रजामंडल (1938) – हीरालाल शास्त्री।
- प्रभाव: अंग्रेजों और देशी राजाओं के खिलाफ जनता को एकजुट किया।
5. 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन एवं राजस्थान
- जयपुर, अजमेर, कोटा, उदयपुर में विद्यार्थियों और किसानों ने हड़तालें कीं।
- गुप्त क्रांतिकारी गतिविधियाँ:
- रामसिंह (अलवर) ने आजाद दस्ता बनाकर गुरिल्ला युद्ध किया।
- शंकर दयाल शर्मा (भरतपुर) ने भूमिगत आंदोलन चलाया।
6. स्वतंत्रता के बाद राजस्थान का एकीकरण (1947–56)
- 30 मार्च 1949 को राजस्थान संघ बना, जिसमें 19 रियासतें शामिल हुईं।
- 1 नवंबर 1956 को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।
- मुख्य एकीकरणकर्ता: गोकुल भाई भट्ट, हीरालाल शास्त्री, माणिक्य लाल वर्मा।
निष्कर्ष:
राजस्थान ने स्वतंत्रता संग्राम में किसान आंदोलनों, क्रांतिकारी गतिविधियों, जन-जागृति और बलिदान के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहाँ के वीरों ने “करो या मरो” के मंत्र को चरितार्थ किया।